Wednesday, October 9, 2024

"शाखा पदाधिकाऱ्यांचे कर्तव्य आणि जबाबदाऱ्या – प्रभावी नेतृत्वाची गुरुकिल्ली"

 



दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया
( भारतीय बौद्ध महासभा)
संस्थापक:बोधिसत्व डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर
संरक्षक: आद. महाउपासिका मीराताई आंबेडकर
ट्रस्टी चेअरमन: आद.डाॅ. हरिश रावलिया*
रिपोर्टिंग ट्रस्टी चेअरमन :- आद.ॲड. सुभाष जौंजाळे.



 शाखा पदाधिकारियों की जिम्मेदारीयाँ और कर्तव्य :


संस्था के कार्यकर्ता और पदाधिकारीयों को कामकाज के बारे में जानकारी होना जरुरी है। जिससे कामकाजकी विभिन्नता और विसंगति दूर होकर एकसूत्रता लाने में सहायता मिलेगी, और धम्म कार्य में गती प्राप्त होकर धम्म का प्रचार और प्रसार का कार्य गतिमान करने में योगदान मिलेगा। संपुर्ण भारत में संस्था के माध्यम से

धम्म प्रचार और प्रसार के कामकाज में कार्यालयीन तथा क्षेत्रीय स्तर पर सुव्यवस्था (सुसूत्रता) लाने के लिए दि बुध्दिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के केंद्र से लेकर राज्य, प्रदेश, जिला और तहसिल, शहर, ग्राम / वार्ड आदि शाखाओं के पदाधिकारियों की जिम्मेदारीयाँ और कर्तव्य संक्षिप्त रुप में दे रहे है। उसका कडाई से पालन करके संस्था का कामकाज करना है।

अ) अध्यक्ष

I) शाखा के प्रमुख होते है।

II) शाखा की पूरी जिम्मेदारी।

शाखा की सुव्यवस्था तथा सुसूत्रता ।

IV) शाखा का कार्य वृत्त प्रस्तुत करना ।

V) सभी सभा और कार्यक्रमों की अध्यक्षता निभाना ।

VI) सभी कार्यवृत्तोंपर (प्रोसिडिंग) हस्ताक्षर करना ।

VII) जरुरत पडने पर विशेष सभा का आयोजन करना।

VIII) जरुरत पड़ने पर खर्च करना।

IX) अपने अधीन शाखा के कार्यकारिणीयों में परिवर्तन (बदलाव) / नियुक्ति आदि करना ।

X) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सोपे गये सभी कार्य करना।

आ) उपाध्यक्ष

I) सौपे गये प्रभाग के प्रमुख की निम्मेदारी संभालना।

II) प्रभाग का कार्य वृत्त और धन राशी का जमा खर्च (लेखा - जोखा) वृत्त तयार करना।

III)प्रभाग के सभी, सभाओं की अध्यक्षता निभाना।

IV) अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सौंपा गया उनका काम करना।

V) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सौंपे गये सभी कार्य करना।

इ) महासचिव

I) शाखा का सभी पत्राचार करना ।

II) शाखा के सभी सभा और कार्यक्रमों का कार्यवृत्त तयार करना।

III) शाखा का हिसाब बराबर रखना। (कॅश बुक की जिम्मेदारी)

IV) अध्यक्ष के अनुमती से सभी तरह की सभाओं / बैठकों का आयोजन करना।

V) सभी कार्यक्रमो और बैठक का सूत्रसंचालन करना।

VI) सचिव और कोषाध्यक्ष से कामकाज संपन्न करवाना।

VII) वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा विवरण का हिसाब तैयार करके निर्धारित समय में मध्यवती शाखा कार्यालय में पेश करना।

VIII) केंद्र या मध्यवर्ती शाखा और अपनी शाखा से जो निर्णय उन्हें आदेश निर्गमित होते हैं, उन्हें कार्यान्वित करना। 

IX)लेखा परिक्षक तथा सनदी लेखाकार से ऑडिट (लेखापरिक्षण) करवाना। 

X) शाखा का दप्तरी कामकाज पुरे जिम्मेदारी के साथ निभाना।

XI) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सौपे गये सभी कार्य करना।

ई) कोषाध्यक्ष

I) शाखा की धन राशी दर्ज तथा बैंक में जमा करना।

II)शाखा की जमा राशी और खर्च का हिसाब रखना। 

III)शाखा के खर्च के लिए जरुरत पडने पर राशि देना।

IV) महासचिव की अनुमतिसे और मार्गदर्शन से कार्यालयीन कामकाज करना ।

V)पदाधिकारी और अन्य कार्यकर्ताओं से हिसाब लेना, दर्ज करना आदी कामकाज करना।

उ) कार्यालयीन सचिव

1) महासचिव को मदद करना। महासचिव की सलाह और मार्गदर्शन से उनका कार्यालयीन काम आदी कामकाज करना।

ऊ) सचिव

I) प्रभाग के कार्यालयीन कामकाज की पूरी जिम्मेदारी संभालना ।

II) प्रभाग की बैठक और कार्यक्रमों का कार्य वृत्त लिखना।

III) प्रभाग का हिसाब बराबर रखना।

IV) प्रभाग का वित्तीय लेखा जोखा विवरण शाखा को पेश करना।

V) प्रभाग के कार्यालयीन कामकाज महासचिव की अनुमती से और मार्गदर्शन पर करना ।

VI) महासचिव के कामकाज में मदद करना।

VII) महासचिव के अनुपस्थिति में उनका कामकाज देखना आदी कार्य करना।

लेखा परिक्षक

I) शाखा की लेखा परीक्षा करना।

II) हिसाब में कुल त्रुटि या गलतियाँ हों तो शाखा अध्यक्ष और महासचिव के समक्ष रखकर दुरुस्त करवा लेना।

III) शाखा के वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा विवरण तैयार करने में मदद करना।

VI) जरुरत पड़ने पर शाखा के हिसाब की चूटियाँ तथा गलतियाँ शाखा कार्यकारिणी, मध्यवर्ती शाखा तथा केंद्रीय कार्यालय को सुचित करना।

ऐ) संगठक

I) नई शाखा निर्मिती के लिए व्यापक जनसंर्षक रखना।

II) संस्था के कार्यक्रमों की तथा नीति की जानकारी आम जनता को देना।

Ⅲ) शाखा की सभी बैठकों और कार्यक्रमों को उपस्थित रहकर जानकारी लेना।

IV) संगठन मजबूत करना।

उपरोक्त पदाधिकारियों की संक्षिप्त जिम्मेदारीयाँ और कर्तव्य पूरी लगन के साथ जानकर संस्था के धम्म प्रचार एवं प्रसार के कार्य में तन, मन और धन से योगदान दें ताकि बोधीसत्व डा. बाबासाहेब अम्बेडकरजी का "भारत बौध्दमय" करने का संकल्प पूरा करने मे आपका भी योगदान मिल सके।

 शाखा के प्रभागों का कामकाज :

संस्था के चारों प्रभागों का कामकाज का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार हैः-

अ) संस्कार प्रभाग

1) संस्कार प्रभाग की स्टेशनरी का हिसाब रखना।

11) संस्कार प्रभाग से संबंधित सभी शिविर और कार्यक्रमोंका प्रस्ताव तैयार करना।

III) भविष्य में आनेवाले कार्यक्रमों का नियोजन करना।

IV) बौध्दाचार्य, भूतपूर्व श्रामणेर, केंद्रीय शिक्षक, पदाधिकारियों में समन्वय और धम्म प्रचार हेतू कार्यक्रमों का आयोजन करना।

V) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सौंपे गये सभी कार्य करना।

आ) महिला प्रभाग

I) महिला प्रभाग की स्टेशनरी का हिसाब रखना।

II) महिलाओं में समन्वय तथा विकास के लिए धम्मप्रचार, प्रसार हेतु शिवीर और कार्यक्रमों का प्रस्ताव तैयार करना।

III) प्रभाग की स्टेशनरी का हिसाब रखना।

IV) केंद्र / मध्यवती शाखा से सौंपे गये सभी कार्य करना।

इ) प्रचार - पर्यटन प्रभाग

I) प्रचार-पर्यटन प्रभाग की सभी स्टेशनरी का हिसाब रखना।

II) विविध पर्यटन - धार्मिक स्थलों का दर्शन-सहल (धम्मयात्रा) का आयोजन करना।

III) शाखा वार बौध्दों की जनसंख्या और बुध्द विहारों की संख्या आदि की पूरी जानकारी का संकलन करना।

IV) धम्म प्रचार - प्रसार हेतू उपयुक्त उपक्रम लेना आवश्यक होतो उस का प्रस्ताव तैयार करके अध्यक्ष / महासचिव को सादर करना।

V) संस्था के सभी कार्यक्रम के हैंडबिल्स, पोस्टर्स और समाचार आदि तैयार करना और उनका बँटवारा करना।

VI) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सौपे गये सभी कार्य करना।

ई) संरक्षण प्रभाग (समता सैनिक दल)

I) दल की स्टेशनरी का हिसाब रखना।

II) सैनिकों में समन्वय रखने के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन करना।

III) मुख्यालय / मध्यवर्ती शाखा से दल साहित्य उपलब्ध करके सैनिकों को वितरित करना।

IV) भविष्य में आयोजित किये जानेवाले कार्यक्रम, परेड, डयूटी कार्यक्रम निश्चित करना।

V) केंद्र / मध्यवर्ती शाखा से सौपे गये सभी कार्य करना।

आमसभा (वार्षिक सर्वसाधारण सभा) और सम्मेलन (अधिवेशन) :

अ) (बैठक) :

1) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कम से कम तीन महिने में एक बार होगी। संविधान के अनुसार आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे। यह बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में या उन्होंने नियुक्त किये (निर्देश दिये) गये पदाधिकारी की अध्यक्षता में होगी।

सभी केंद्रीय पदाधिकारियों के कामकाज का जायजा लेने के लिए राष्ट्रीय

(1) महासचिव हर माह में मासिक बैठक लेंगे। 

2 )संस्था के कार्य के लिए हर एक शाखा अपने स्तर पर हर महीने मासिक बैठक का आयोजन करेगी।

3)संस्था की शाखा का निर्णय केवल शिफारिश समझी जाएगी।

4) लिखित अनुरोध के अनुसार १/३ पदाधिकारी विशेष बैठक की माँग कर सकते है, किन्तु ऐसे निवेदन की दो प्रतियाँ केंद्र को भेजना जरुरी है।

5)केंद्र एक महीने के अंदर बैठक बुलाने का आदेश देगा। केंद्र ऐसी बैठक को निरीक्षक भेज सकते है।

6) सभी प्रश्न, उपस्थित पदाधिकारियों के बहुमत से सुलझाये जाएंगे। अध्यक्ष / केंद्रीय निरीक्षक का निर्णय अंतिम रहेगा। लेकिन निर्णय के विरुध्द शिकायत होने पर केंद्र / मध्यवर्ती शाखा के पास ले जा सकते है। केंद्र का निर्णय बंधनकारक तथा अंतिम रहेगा।

आ) वार्षिक आमसभा / साधारण सभा (AGM)

1) संस्था के सभी सभासदों की वार्षिक आमसभा कामकाज का वर्ष पूरा होने के बाद VIII (एल) (७) के अनुसार आयोजित करना अनिवार्य है। केंद्र की आमसभा जुलाई / अगस्त या राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश के अनुसार होगी।

1) इस सभा की सुचना कम से कम १५ दिन पहले प्रस्तुत करना आवश्यक है। इस सभा में, निम्न कामकाज होगा।

क) पिछले वर्ष का वार्षिक आमसभा या विशेष आमसभा का कार्यवृत्त का वाचन करना तथा कार्य की समीक्षा करना।

ख)शाखा द्वारा प्रस्तुत किया गया और सी. ए. द्वारा आडिट किया गया वार्षिक लेखा-जोखा, तुलनपत्र को मंजूरी देना। ग) आगामी वर्ष का कामकाज, कार्यक्रम, अर्थसंकल्प प्रस्ताव को मंजूर करना। 

घ) कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त होने पर कार्यकारणी की नियुक्ती करना।

(मध्यवर्ती शाखा या केंद्र के निर्देश पर)

ज) अध्यक्ष की अनुमती से आने वाले अन्य विषय और धम्म कार्य गतिमान होने के लिए विधायक सूचना ।

प्रोबेशन पर रहनेवाले सभी पदाधिकारी आमसभा को उपस्थित नहीं रह सकते।

IV) शाखाएँ और उनकी आमसभा के सदस्य (General Council)

केंद्र: राष्ट्रीय कार्यकारिणी, सभी केंद्रीय प्रभाग के पदाधिकारी और सदस्य, राष्ट्रीय संगठक, राज्य संगठक, प्रभागीय सचिव, प्रभागीय संगठक और सभी राज्य / प्रदेश, जिला शाखाओं के अध्यक्ष, महासचिव तथा समता सैनिक दल के सभी मेजर जनरल और उनके ऊपरकी रैंक के अधिकारी

राज्य : राज्य, कार्यकारिणी, राज्य संगठक, प्रभागीय सचिव, प्रभागीय संगठनकर्ता, सभी जिला के अध्यक्ष, संगठक, केंद्रीय शिक्षक

प्रदेश : प्रदेश कार्यकारिणी, राज्य संगठक, प्रभागीय सचिव, प्रभागीय संगठक, सभी विभाग (झोन) तथा वार्ड, (नगर) के अध्यक्ष, महासचिव, केन्द्रीय शिक्षक,

जिलाः तहसिल कार्यकारिणी, सभी ग्राम शाखा के अध्यक्ष, महासचिव, केंन्द्रिय शिक्षक, सक्रिय सदस्य, आजीव सदस्य

शहर : शहर कार्यकारिणी, सभी वार्ड (नगर) शाखा के अध्यक्ष, महासचिव, केन्द्रिय

शिक्षक, केन्द्रिय शिक्षिका, सक्रिय सदस्य, आजीवन सदस्य

ग्राम/वार्ड ग्राम/वार्ड (नगर) कार्यकारिणी, केन्द्रिय शिक्षक, केन्द्रिय शिक्षिका, सक्रिय सदस्य, आजीवन सदस्य, सर्वसाधारण सदस्य

इ) सम्मेलन (अधिवेशन)

संस्था के प्रत्येक शाखा में निम्न साल सम्मेलन (अधिवेशन) संपन्न करना होगा।

केंद्र : ५ साल

राज्य/प्रदेश, जिलाः३ साल

तहसील/शहर : २ साल

















कालाम सुत्त

 



कालाम सुत्त 

दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया या संस्थेच्या मुलुंड शाखेत वर्षावास प्रवचन मालिका संपन्न झाली.केंद्रीय शिक्षिका दिप्ती ताई लोखंडे यांनी दि.6/10/2024 रोजी कालाम सुत्त या विषयावर पुढील प्रमाणे प्रवचन दिले.

तथागत भगवान बुद्धांची कल्याणकारी शिकवण गावा- गावात पसरु लागली होती. त्यांची प्रवचने ऐकण्यासाठी श्रेष्ठी आणि ब्राह्मण त्यांच्याजवळ येत होते. असेच एकदा भगवान बुद्ध केसमुत्ती नावाच्या गावाला गेले असता, त्या गावातील कालामांनी भगवान बुद्धांना योग्य तो उपदेश करावा अशी विनंती केली. तेव्हा भगवान म्हणाले ..

" 'एथ तुम्हे, कालामा, मा अनुस्सवेन, मा परम्पराय, मा इतिकिराय, मा पिटक सम्पदानेन, मा तक्कहेतु, मा नयहेतु, मा आकार परिवितक्केन, मा दिठ्ठिनिज्झानक्खन्तिया, मा भब्बरूपताय, मा समणो नो गरूति। यदा तुम्हे, कालामा, अत्तनाव जानेय्याथ - 'इमे धम्मा अकुसला, इमे धम्मा सावज्जा, इमे धम्मा विञ्जुगरहिता, इमे धम्मा समत्ता समादिन्ना अहिताय दुक्खाय संवत्तन्ती"ति, अथ तुम्हे, कालामा, पजहेय्याथ। "

मराठी अर्थ

१. हि गोष्ट वारंवार ऐकली आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

२. हि गोष्ट परंपरेने मानली जात आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

३. हि गोष्ट आमच्या धर्म ग्रंथाच्या अनुकुल आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

४. हि गोष्ट तर्कसंगत आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

५. हि गोष्ट न्यायसंगत आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

६. हि गोष्ट आमच्या मताच्या अनुकुल आहे म्हणुन ती स्वीकारु नका.

७. सांगणाऱ्याचे व्यक्तीत्व व त्याचे व्यक्तीमत्व आकर्षक आहे म्हणुन त्याची गोष्ट स्वीकारु नका.

८. सांगणारा श्रेष्ठी किंवा ब्राह्मण हा पुज्यनीय आहे म्हणुन त्याची गोष्ट स्वीकारु नका .

तुम्ही सत्याला आपल्या अनुभवाने जाणा, कोणत्या गोष्टी कुशल आहेत, निर्दोष आहेत, त्यानुसार चालण्यामुळे आपले हित होईल, आपल्याला सुख प्राप्त होईल, त्याचाच स्वीकार करा. जे सत्य आपल्या अनुभवांनी जाणले गेले, आणि बघितले की हे कुशल आहे, ते केवळ जाणुनच राहु नका, तर त्यानुसार आचरण करा तरच तुमचे कल्याण होईल.

जर तर्कच सर्वश्रेष्ठ असता तर भगवान बुध्दांना उपदेश करण्याची आवश्यकता काय असती ?

प्रत्येक गोष्ट तर्कावर सुटु शकत नाही. आणि सत्यही तर्काच्या बळावर गवसणार नाही. या जगात वेगवेगळ्या स्वभावाचे वेगवेगळ्या बुद्धीचे लोक राहत असतात जर प्रत्येक जण आपापल्या तर्कावरच विश्वास ठेवायला गेला तर जगातुन सत्य नाहीसे होईल. अंधविश्वासही वाढेल

चांगल्या मनुष्याचा तर्क चांगला तर वाईट मनुष्याचा तर्क वाईटच असेल. परंतु सत्यापेक्षा ते वेगळेच असेल. ज्याचे त्याचे तर्क ज्याच्या त्याच्या बुद्धीनुसारच असतील शिवाय आपण एक गोष्ट लक्षात घ्यायला हवे की, सामान्य मानवाचे इंद्रिय हे मर्यादीत असतात. प्रत्येक गोष्ट ते त्याच्या तर्कावर सोडवू शकणार नाहीत. (उदा. मानवाचे कान अल्ट्रासोनीक साऊंड ऐकु शकत नाहीत., तसेच कित्येक सूक्ष्म जीव आपल्या डोळ्याने तो पाहु शकत नाही, हे सर्व मानवाच्या इंद्रियांच्या मर्यादा आहेत.)

या सर्वांपेक्षाही बुद्धांचा धम्म इंद्रिय मानतात ते म्हणजे आपले मन. सामान्य मानवाच्या मनाचीही शक्ती इतर इंद्रियांप्रमाणे मर्यादीत आहे. त्यामुळे केवळ तर्कावर तो सत्याचा शोध लावु शकणार नाही. मनाची शक्ती वाढविण्यासाठी एक मार्ग सांगितला आहे. त्याने असा कुठेही दावा केला नाही की त्याचा मार्ग हा एकमेव मार्ग आहे. परंतु त्याचा हा धम्ममार्ग एकमेव मध्यम मार्ग आहे एवढे मात्र नक्की.

" बुद्ध हे मानवाचेच विकसीत रुप आहे. मानवाच्या मनाच्या विकासाची शेवटची पायरी म्हणजे बुद्धत्व होय. "

भगवान गौतम बुद्धांनी जे काही सांगितले ते सर्वकाही स्वतःच्या अनुभवातुन, तर्कावरुन नव्हे.! आणि त्यांचा असा दावा आहे की कोणीही हा सिद्धांत स्वतः अनुभवुन पाहु शकतो.

यावेळी मुलुंड शाखेचे अध्यक्ष आयुष्मान सुरेश उघडे सरचिटणीस सिद्धार्थ तपासे कोषाध्यक्ष रेखाताई रोकडे व शाखेचे सर्व पदाधिकारी उपस्थित होते.विमलताई सोनवणे यांच्या निवासस्थानी कार्यक्रम झाला.

नमोबुध्दाय ! जयभीम








विश्वगुरु म्हणजेच तथागत भगवान बुद्ध” — डॉ. राजेश पवार गुरूजींचे प्रतिपादन

आनंदनगर, कल्याण (प्रतिनिधी): दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया शाखा “आनंद बुद्ध विहार”, आनंदनगर, कल्याण यांच्या वतीने वर्षावास प्रवचन मालिकेचे ...